Madhu varma

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लेखनी कविता - दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद

दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद 


शरद का सुंदर नीलाकाश

 निशा निखरी, था निर्मल हास

 बह रही छाया पथ में स्वच्छ

 सुधा सरिता लेती उच्छ्वास

 पुलक कर लगी देखने धरा

 प्रकृति भी सकी न आँखें मूंद

 सु शीतलकारी शशि आया

 सुधा की मनो बड़ी सी बूँद !

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